एक बेटी का ख़त माँ के नाम- बेटी जो मर चुकी

जब एक माँ को अपनी बेटी का ख़त मिलता हैं, तो उस आनंद की कल्पना केवल एक माँ ही कर सकती हैं, लेकिन जब ईरान  की एक माँ शालेह को उसकी बेटी रेहाना का ख़त मिला तो इस पर क्या बीती होंगी, यह आप इस ख़त को पढ़कर ही समझ पाएंगे.

रेहाना वह बच्ची हैं, जिसे ईरान में केवल इस लिए फांसी पर लटका दिया गया, क्योंकि उसने ईरान की मिलिट्री के उस अधिकारी को चाकू से मारा, जो उससे बलात्कार की कोशिश कर रहा था। इस्लामी कानून के अनुसार, जो कि ईरान में लागू हैं, यदि किसी औरत के बलात्कार हो जाता है तो उसे बलात्कार साबित करने के लिये 2 चश्मदीद गवाह पेश करने पड़ते हैँ जिन्होने अपनी आँखोँ से बलात्कार होते देखा है. अब आप बताये कि क्या कोई बलात्कारी दो गवाहों की व्यवस्था करके बलात्कार करेंगा?
ईरान की रेहाना
 तो, ऐसे अंधे कानून में यही होना था. रेहाना को फांसी पर चढ़ा दिया गया. एक बलात्कारी को मौत के घाट उतार देने के लिए. 

स्वर्गीय रेहाना के इस ख़त को पढ़े, दुःख से पढ़े; नफरत से पढ़े; ग्लानि से पढ़े; गुस्से से पढ़े; कैसे भी पढ़े; लेकिन दिल से पढ़े. और यह सोच कर पढ़े कि रेहाना आपकी बहन या बेटी भी हो सकती थी.

और इस ख़त को पढ़ते पढ़ते यदि आपके आँखों में एक बूँद आ जाये तो उसे समर्पित कर दीजियेगा, इस दुनिया की उन सारी औरतों और बच्चियों के नाम; जिनके हक़ धर्म और मजहब के नाम पर छीन लिए जाते हैं.

मेरी प्रिय माँ

आज मुझे पता चला कि मुझे किस्सास (ईरानी विधि व्यवस्था में प्रतिकार का कानून) का सामना करना पड़ेगा। मुझे यह जानकर बहुत बुरा लग रहा है कि आखिर तुम क्यों नहीं अपने आपको यह समझा पा रही हो कि मैं अपनी जिंदगी के आखिरी पन्ने तक पहुंच चुकी हूं।
तुम जानती हो कि तुम्हारी उदासी मुझे कितना शर्मिंदा करती है? तुम क्यों नहीं मुझे तुम्हारे और पापा के हाथों को चूमने का एक मौका देती हो? 



मां, इस दुनिया ने मुझे 19 साल जीने का मौका दिया। उस मनहूस रात को मेरी हत्या हो जानी चाहिए थी। मेरा शव शहर के किसी कोने में फेंक दिया गया होता और फिर पुलिस तुम्हें मेरे शव को पहचानने के लिए लाती और तुम्हें पता चलता कि हत्या से पहले मेरा रेप भी हुआ था। मेरा हत्यारा कभी भी पकड़ में नहीं आता क्योंकि हमारे पास उसके जैसी ना ही दौलत है, ना ही ताकत। उसके बाद तुम कुछ साल इसी पीड़ा और शर्मिंदगी में गुजार लेती और फिर इसी पीड़ा में तुम मर भी जाती। लेकिन, किसी श्राप की वजह से ऐसा नहीं हुआ। मेरा शव तब फेंका नहीं गया। लेकिन, इविन जेल के सिंगल वॉर्ड स्थित कब्र और अब कब्रनुमा शहरे रे जेल में यही हो रहा है। इसे ही मेरी किस्मत समझो और इसका दोष किसी पर मत मढ़ो। तुम बहुत अच्छी तरह जानती हो कि मृत्यु जीवन का अंत नहीं होती।
 
तुमने ही कहा था कि आदमी को मरते दम तक अपने मूल्यों की रक्षा करनी चाहिए। मां, जब मुझे एक हत्यारिन के रूप में कोर्ट में पेश किया गया तब भी मैंने एक आंसू नहीं बहाया। मैंने अपनी जिंदगी की भीख नहीं मांगी। मैं चिल्लाना चाहती थी लेकिन ऐसा नहीं किया क्योंकि मुझे कानून पर पूरा भरोसा था।'
 
मां, तुम जानती हो कि मैंने कभी एक मच्छर भी नहीं मारा। मैं कॉकरोच को मारने की जगह उसकी मूंछ पकड़कर उसे बाहर फेंक आया करती थी। लेकिन अब मुझे सोच-समझकर हत्या किए जाने का अपराधी बताया जा रहा है। वे लोग कितने आशावादी हैं जिन्होंने जजों से न्याय की उम्मीद की थी! तुम जो सुन रही हो कृपया उसके लिए मत रोओ। पहले ही दिन से मुझे पुलिस ऑफिस में एक बुजुर्ग अविवाहित एजेंट मेरे स्टाइलिश नाखून के लिए मारते-पीटते हैं। मुझे पता है कि अभी सुंदरता की कद्र नहीं है। चेहरे की सुंदरता, विचारों और आरजूओं की सुंदरता, सुंदर लिखावट, आंखों और नजरिए की सुंदरता और यहां तक कि मीठी आवाज की सुंदरता।

मेरी प्रिय मां, मेरी विचारधारा बदल गई है। लेकिन, तुम इसकी जिम्मेदार नहीं हो। मेरे शब्दों का अंत नहीं और मैंने किसी को सबकुछ लिखकर दे दिया है ताकि अगर तुम्हारी जानकारी के बिना और तुम्हारी गैर-मौजूदगी में मुझे फांसी दे दी जाए, तो यह तुम्हें दे दिया जाए। मैंने अपनी विरासत के तौर पर तुम्हारे लिए कई हस्तलिखित दस्तावेज छोड़ रखे हैं।
 
मैं अपनी मौत से पहले तुमसे कुछ कहना चाहती हूं। मां, मैं मिट्टी के अंदर सड़ना नहीं चाहती। मैं अपनी आंखों और जवान दिल को मिट्टी बनने देना नहीं चाहती। इसलिए, प्रार्थना करती हूं कि फांसी के बाद जल्द से जल्द मेरा दिल, मेरी किडनी, मेरी आंखें, हड्डियां और वह सब कुछ जिसका ट्रांसप्लांट हो सकता है, उसे मेरे शरीर से निकाल लिया जाए और इन्हें जरूरतमंद व्यक्ति को गिफ्ट के रूप में दे दिया जाए। मैं नहीं चाहती कि जिसे मेरे अंग दिए जाएं उसे मेरा नाम बताया जाए और वह मेरे लिए प्रार्थना करे।

मेरी प्यारी माँ, शोलेह, जो मुझे अपनी जान से भी ज्यादा अज़ीज़ है, मैं ज़मीन के नीचे सड़ना नहीं चाहती. मैं नहीं चाहती की मेरी आँख और मेरा जवान दिल धूल में मिल जाए. इन लोगों से गुज़ारिश कीजियेगा कि जैसे ही मेरी मौत हो मेरा दिल, गुर्दा, आंख, हड्डियाँ जो कुछ भी किसी दुसरे के शरीर में लगाया जा सके, निकाल लिया जाए और उसको एक तोहफे की तरह दिया जाए. जिसे भी मेरा अंग लगे उसको मेरा नाम न बताया जाए ताकि न तो वो मेरे लिए फूल खरीद सके, और न मेरे लिए दुवा कर सके. मैं आपसे ये अपने दिल की गहराईयों से कह रही हूँकि मेरी कोई कब्र मत बनाना जहाँ आप आ सको और रो सको और पीड़ा उठाओ. मेरे शोक मानाने के लिए आप काले कपडे मत पहेनना. कोशिश करके मेरे बुरे दिन भूल जाना. मुझे हवाओं को सौप देना मुझे ले जाने के लिए 

आपकी बेटी रेहाना 


टिप्पणी: इस ब्लॉग के लेखक, आचार्य कल्कि कृष्णन्, स्थापित व प्रतिष्ठित ज्योतिषी व वास्तु सलाहकार हैं. वे ज्योतिष विज्ञान सम्बन्धी सबसे प्रतिष्ठित वेबसाइट एस्ट्रोदेवं के संरक्षक हैं. अपने सकारात्मक दृष्टिकोण के लिए विख्यात एवं अनेकानेक संस्थाओं से सम्मानित आचार्य कल्कि कृष्णन्,  स्वयं को संतुष्टि व सामंजस्य विशेषज्ञकहलाना पसंद करते हैं.  उनसे आप http://astrodevam.com/contact-us.html पर संपर्क कर सकते हैं.

Note: Āchary Kalki Krishnan, writer of this blog is an established and renowned Astrologer and Vastu Expert, and mentor of AstroDevam, most reliable website regarding Astrology and related sciences. Famous for his positive outlook and honored by a lot of organizations, Āchary Kalki Krishnan prefers to be addressed as ‘Wellness & Harmony Expert’.
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