आज प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन में इस कदर व्यस्त है की उसे ना तो दिन का होश है और ना ही रात्रि का ख्याल, बस वो दौड़ता जा रहा है, भागता जा रहा है. लेकिन किससे कर रहा है वह ये प्रतिस्पर्धा क्या उद्देश्य लेकर चल रहा है? अगर हम स्वयं का आंकलन करेंगे तो पाएंगे कि रोजाना की भागदौड़ में हम पैसा तो बहुत कमा रहे हैं लेकिन जिनके लिए हम पैसा कम रहे हैं वो लोग हमसे छूटते जा रहे है.
माना की पैसा आजकल की जिंदगी में बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन आपके परिवार से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है, इसलिए इस व्यस्त जिंदगी में अपने परिवार के लिए अवश्य समय निकाले, क्यूंकि वह लोग ही आप को जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित भी करेंगे और आपको भी एक लक्ष्य मिलता है उनकी ( माँ - बाप, बहिन-भाई, पत्नी, संतान, दोस्त) आशाओं और आवश्यकताओं को पूरा करने का, साथ ही आपको अपने सुख-दुःख बांटने का भी अवसर मिलता है.
आज इन्सान सिर्फ एक मशीन बन के रह गया है और वह एकदम से भूल गया है कि उसके अन्दर जज्बात भी होते हैं लेकिन व्यस्त जीवन की वजह से वो सब कुछ भूल चूका है या फिर जज्बात दबाकर जीने की उसे भी आदत पड़ चुकी है, और यह भी एक कारण है इन्सान के अन्दर अवसाद पनपने का क्यूंकि हमारी लाइफ में अब सिर्फ घर से ऑफिस और ऑफिस से घर की ही दिनचर्या होती है, बाकी सब कुछ हम भुला ही चुके हैं.
तो आप सभी से मेरा निवेदन है कि जो हमें भगवान ने एक मनुष्य का जीवन दिया है उसे व्यर्थ न जाने दें, और जो गुण मानव के अन्दर उस प्रभु ने डाला है वो है जज़्बात का भावनाओं का. अगर इन्सान में से ये चीज़ हटा दी जाये तो वो भी एक रोबोट ही कहलायेगा, तो हम सभी को गर्व होना चाहिए की हमें इन्सान का जन्म मिला है. और इंसानियत तभी जिंदा रह सकती है जब उसके अन्दर जज़्बात हों.
माना की पैसा आजकल की जिंदगी में बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन आपके परिवार से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है, इसलिए इस व्यस्त जिंदगी में अपने परिवार के लिए अवश्य समय निकाले, क्यूंकि वह लोग ही आप को जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित भी करेंगे और आपको भी एक लक्ष्य मिलता है उनकी ( माँ - बाप, बहिन-भाई, पत्नी, संतान, दोस्त) आशाओं और आवश्यकताओं को पूरा करने का, साथ ही आपको अपने सुख-दुःख बांटने का भी अवसर मिलता है.
आज इन्सान सिर्फ एक मशीन बन के रह गया है और वह एकदम से भूल गया है कि उसके अन्दर जज्बात भी होते हैं लेकिन व्यस्त जीवन की वजह से वो सब कुछ भूल चूका है या फिर जज्बात दबाकर जीने की उसे भी आदत पड़ चुकी है, और यह भी एक कारण है इन्सान के अन्दर अवसाद पनपने का क्यूंकि हमारी लाइफ में अब सिर्फ घर से ऑफिस और ऑफिस से घर की ही दिनचर्या होती है, बाकी सब कुछ हम भुला ही चुके हैं.
तो आप सभी से मेरा निवेदन है कि जो हमें भगवान ने एक मनुष्य का जीवन दिया है उसे व्यर्थ न जाने दें, और जो गुण मानव के अन्दर उस प्रभु ने डाला है वो है जज़्बात का भावनाओं का. अगर इन्सान में से ये चीज़ हटा दी जाये तो वो भी एक रोबोट ही कहलायेगा, तो हम सभी को गर्व होना चाहिए की हमें इन्सान का जन्म मिला है. और इंसानियत तभी जिंदा रह सकती है जब उसके अन्दर जज़्बात हों.
Note: Āchary Kalki Krishnan, writer of
this blog is an established and renowned
Astrologer and Vastu Expert, and mentor of AstroDevam, most reliable website
regarding Astrology and related sciences. Famous for his positive outlook and
honored by a lot of organizations, Āchary Kalki Krishnan prefers to be
addressed as ‘Wellness & Harmony Expert’.
He can be contacted at http://astrodevam.com/contact-us.html
टिप्पणी: इस ब्लॉग के लेखक, आचार्य कल्कि कृष्णन्, स्थापित व प्रतिष्ठित ज्योतिषी व वास्तु सलाहकार हैं. वे ज्योतिष विज्ञान सम्बन्धी सबसे प्रतिष्ठित वेबसाइट एस्ट्रोदेवं के संरक्षक हैं. अपने सकारात्मक दृष्टिकोण के लिए विख्यात एवं अनेकानेक संस्थाओं से सम्मानित आचार्य कल्कि कृष्णन्, स्वयं को ‘संतुष्टि व सामंजस्य विशेषज्ञ’ कहलाना पसंद करते हैं. उनसे आप http://astrodevam.com/contact-us.html पर संपर्क कर सकते हैं.
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