AstroDevam.com, जो आज ज्योतिष सम्बंधित सर्वोत्तम वेबसाइट बन गई हैं, की अवधारणा, हम लोगो ने, कई
वर्ष पहले ज्योतिष के क्षेत्र में, विशेषकर इन्टरनेट पर, व्यवसायिक घरानों की
घुसपैठ से चिंतित होकर की थी. इस विशाल योजना को प्रारंभ करने पर हमें कई मुद्दों
को सुलझाना था. इनमें से एक था हमारे लिए एक आदर्श वाक्य का चयन.
इसके लिए हमने कई वाक्यों, कविताओं, सूक्तिओं व
श्लोकों को देखा. इसके लिए हम एक ऐसे आदर्श वाक्य की खोज कर रहे थे, जिससे हम अपना
जुड़ाव महसूस कर सके, और जो हमारे दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित कर सके. हमारे पास बहुत
सारे विकल्प इकठ्ठा हो गए.
संस्कृत, हिंदी व अंग्रेजी के अलावा हमने उर्दू
शायरी, विशेषकर सम्माननीय बशीर बद्र की रचनाओं पर भी विचार किया. किन्तु, अंत में
ज्योतिष, वास्तु आदि की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, और
संस्कृत से उसके गर्भनाल सम्बन्ध को देखते हुए, अंत में निर्णय लिया कि
संस्कृत को ही प्राथमिकता दी जाये.
संस्कृत को चुनने के बावजूद, हमारा काम इस भाषा की
समृद्ध धरोहर के कारण आसन नहीं था. अपने उद्द्येश्य के लिए हमने वेदों, पुराणों
एवं अन्य महान साहित्यों की खाक छानी. अंत में हमने करीब सौ से ज्यादा सुन्दर
श्लोकों व वाक्यों को, जिन्हें संस्कृत में सूक्ति या सुभाषित कहा जाता हैं, को
छांटा.
अपने काम को आसान करने के लिए हमने अपने आदर्श
वाक्य के कुछ मापदंड निश्चित किये:
1. यह बहुत अस्पष्ट व दार्शनिक
नहीं होना चाहिए,
2. ऐसा नहीं लगना चाहिए कि इसे
हमारे भाषाज्ञान को बघारने के लिए चुना गया हैं,
3. यह एकदम से अनसुना नहीं होना
चाहिए,
4. इसे हमारे दृष्टिकोण व हमारी
वेबसाइट एस्ट्रोदेवं डॉट कॉम/ http://astrodevam.com के उद्द्येश्यों को
प्रतिबिंबित करना चाहिए,
5. और अंत में, यह आसानी से समझ
में आ जाना चाहिए.
आखिरकार, हमने महाभारत के महान एवं कुछ हद तक प्रसिद्द श्लोक को चुना, जो दानी
राजा रंतिदेव से जुड़ा हैं. श्लोक निम्नलिखित हैं:
न त्वहं कामये राज्यं, न स्वर्गं न अपुनर्भवं l
कामये दुःखतप्तानां
प्राणिनामार्ति नाशनं ll
महाराज रन्तिदेव |
इस श्लोक का शाब्दिक अर्थ हैं; न तो मुझे साम्राज्य की, न ही स्वर्ग की और न ही मोक्ष की चाह हैं. मेरी एकमात्र इच्छा पीड़ित जीवमात्र के दुखों को समाप्त करना हैं.
बाद में इस महान श्लोक का मैंने हिन्दी मे काव्य रूपांतरण भी किया:
नहीं चाहिए
स्वर्ग हमें, नहीं राज्य, या फिर
निर्वाण l
हम चाहे हर
दुखी जीव की पीड़ा का होवे संहार ll
अपने प्रतीक चिन्हों की रूपरेखा बनाते समय भी हमने
यह सुनिश्चित किया कि इस महान श्लोक कि अंतिम अर्धाली ‘प्राणिनामार्ति नाशनं’ व
उसका अंगरेजी भावांतरण ‘Rooting
out miseries’ उनमें अवश्य रहे, जिससे वेबसाइट एस्ट्रोदेवं डॉट कॉम/ http://astrodevam.com के पीछे हमारी सोच, हमारा
दर्शन व हमारा उद्देश्य सभी को पूर्ण रूप
से स्पष्ट हो जाये.
एस्ट्रोदेवम डॉट कॉम का प्रतीक चिन्ह
Note: Āchary Kalki Krishnan, writer of
this blog is an established and renowned
Astrologer and Vastu Expert, and mentor of AstroDevam, most reliable website
regarding Astrology and related sciences. Famous for his positive outlook and
honored by a lot of organizations, Āchary Kalki Krishnan prefers to be
addressed as ‘Wellness & Harmony Expert’.
He can be contacted at http://astrodevam.com/contact-us.html टिप्पणी: इस ब्लॉग के लेखक, आचार्य कल्कि कृष्णन्, स्थापित व प्रतिष्ठित ज्योतिषी व वास्तु सलाहकार हैं. वे ज्योतिष विज्ञान सम्बन्धी सबसे प्रतिष्ठित वेबसाइट एस्ट्रोदेवं के संरक्षक हैं. अपने सकारात्मक दृष्टिकोण के लिए विख्यात एवं अनेकानेक संस्थाओं से सम्मानित आचार्य कल्कि कृष्णन्, स्वयं को ‘संतुष्टि व सामंजस्य विशेषज्ञ’ कहलाना पसंद करते हैं. उनसे आप http://astrodevam.com/contact-us.html पर संपर्क कर सकते हैं. |
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